Wednesday, September 29, 2010

सूफी कवि शेख किफायत

यह एक महत्त्वपूर्ण तथ्य है कि सिद्ध-परंपरा को जन्म देनेवाले कोसी अंचल में सूफी-काव्य और भक्ति-काव्य की कड़ियाँ भी मिलती हैं। पूर्णिया जिले के पूरब दमका नामक स्थान पर प्रसिद्ध सूफी कवि शेख़ किफायत का जन्म हुआ था। वे शाहजहाँ (1627-58 ई.) के पुत्र शाहशुजा के समकालीन थे। उनके पिता का नाम शेख़ मुहम्मद था। मुहम्मद आजम उनके पीर थे और गुरु मौलवी मुहम्मद। उनके देहावसान की अनुमानित तिथि 175 ई. है। उनकी कब्र दमका में ही है। ग्‍यारहवीं शरीफ को उनकी पुण्‍य तिथि मानकर हर साल उनकी बरसी मनाई जाती है। लगभग पच्चीस वर्ष की अवस्था में उनका परिचय नवाब सैफ ख़ाँ (पूर्णिया का नवाब, शासन काल: 1722-50 ई.) के मुसाहब शेख़ मुहम्मद शमी नामक विद्वान से हुआ और इनकी तथा नाजिरपुर वासी हजरत मियाँ की प्रेरणा से उन्होंने 'विद्याधर' नामक एक प्रेमाख्यान की रचना 1728 ई. में की थी। इसकी मूल कथा एक गायक से सुनी लोककथा पर आश्रित है। इसमें यत्र-तत्र सूफी प्रेमाख्यानों का उल्लेख भी मिलता है। यह पुस्‍तक फारसी की मसनवी शैली में लिखी गई है। इसमें सात अर्धालियों के बाद दोहा दिया गया है। कैथी लिपि में इस पुस्तक की एक हस्तलिखित प्रति पटना विश्वविद्यालय में विश्रुत शोधकर्ता एवं इतिहास के प्राध्यापक अस्करी साहब को मिली थी। यह पुस्तक उर्दू और हिन्दी लिपि में प्रकाशित हो चुकी है। उर्दू में इसका लिप्‍यंतर और प्रथम प्रकाशन मकबूल हुसैनी मकैली के संपादन में 1938 ई. में आलम प्रेस, किशनगंज से हुआ था। मु. शरफुद्दीन अंसारी द्वारा कैथी लिपि से हिन्दी में लिप्यंतरित इस कृति का नवीनतम संस्करण कमर शाँदा के संपादन में 1997 ई. में प्रकाशित हुआ है। 'विद्याधर' की रचना के बाद किफायतुल्‍ला ने 250 पृष्‍ठों की 'हीरालाल' नामक एक अन्‍य कृति की रचना भी की थी, जो इस्‍लाम के आध्‍यात्‍मिक चिंतन पर आधारित थी। वह कृति अनुपलब्‍ध है।

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